आज दोपहर में सोने की इच्हा हुई,पर बीहार में यह संभव नहीं है ,क्योकि बिना बिजली के नींद नहीं आ सकती ,क्योकि गर्मी अपने चरम पर है ,और बिहार में बिजली मिल जाये ये कैसे हो सकता है ,नितीश के शासन काल में तो और भी बुरा हाल है ...सायद ये नितीश जी के जाने का समय आ गया है .....बिजली ने बहुतो का हाल बिगड़ दिया है .....नितीश जी कुछ तो करो .
rajeev ki soch
Friday, May 25, 2012
Thursday, December 23, 2010
pyaj ke aanshu
पिछले कुछ दिनों से प्याज ने ग्लिसरिन की जगह ले ली है.जिन अभिनेत्रियों को रोने के सिं को करने के लिए ग्लिसरिन का सहारा लेना पड़ता था,आज उनके आँखों से pyaj देखकर ही आंशु निकल आते है.एसे में जब इन हाई प्रोफाइल लोगो का ये हाल है तो एक आम इन्सान के आँखों का दर्द आसानी से समझा जा सकता है,पर ये दर्द भी एक आम इन्सान ही समझता है.जो की इस देश का निति निर्धारक नहीं है,और जो निति निर्धारक है उन्हें तो दर्द होता ही नहीं,और भाई हो भी कैसे वो प्याज खरीदने थोड़े ही न जाते है.पहले एक आम इन्सान प्याज के काटने पे रोता था आज बिना कटे ही रोता है,आम इन्सान की दिनचर्या तो इन आन्शुवो में ही बीत जाती है..आज प्याज के आंशु है तो कल किसी और के आंशु होंगे.
राजीव रंजन.
राजीव रंजन.
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